हरदा लॉकडाउन के दौरान जिस जगह फंसे उसी शहर और वहां के लोगों के लिए लिखा प्यार भरा लेख

हरदा / टिमरनी एक छोटा सा कस्बा और मेरे पसंदीदा शहरों में से एक , टिमरनी, मध्यप्रदेश के हरदा जिले में छोटा से शहर।मेरे लॉकडाउन के वक़्त का पालनहार। जब मैं पहली बार लगभग 45 दिन पहले यहां आया तो सब कुछ सामान्य शहरों जैसा ही था मगर कहते हैं ना खूबसूरती देखनी हो तो जिसको भी देखना कई बार देखना और मैंने देखी हैं 45 सुबह और शाम इस शहर की। जितनी खूबसूरती इस शहर की है उसी के समानुपातिक यहां के लोगो का दिल, इंसानियत प्रचुर मात्रा में और प्यार अमिट। इस शहर ने दिए हैं कइयों खिलाड़ी कराटे के कराटे में हासिल किया है यहां के बच्चों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक। कमाल की कला छिपी है इस शहर में।इस छोटे से शहर में तिनका सामाजिक संस्था जैसी संस्था जो लड़कियों को सिखाती है आत्मरक्षा के गुर। इस कस्बे में मैं जिससे भी मिला वो मेरा पसंदीदा होता गया, पत्रकार दोस्त बने जो थे कमाल के व्यवहारिक और ठीक उसी तरह की इंसानियत पुलिस बल के कुछ मेरे चुनिंदा व्यक्ति जिन्होंने हर वक़्त मेरा हाल चाल जाना।इस शहर में जिससे जितना बना उसने राहगीरों की हर संभव मदद की और मुझ जैसे मुसाफिरों को दो वक्त के भोजन के साथ मिला मातृत्व का भाव। प्रणाम उस मातृशक्ति को जिसने मुझे ना सिर्फ पैतालीस दिनों के 90 आहार और अल्पाहार खिलाये बल्कि साथ ही दिया एक पुत्र जैसा प्यार ।इस अनजान मुसाफिर को अपने आगोश में लेकर पालने वाले इस शहर को मेरा शत शत नमन । जिसने मेरे मुश्किल दिनों को आसान करने में सहायता की , बहुत कुछ दिया और सिखाया इस शहर और यहां के लोगों ने।
मैं कुछ तो नही दे सकता परंतु अपने निवास स्थान जाने से पहले समर्पित एक प्यार भरा लेख इस शहर और इस शहर में पल रहे लोगों के लिए।साभार- पमोद रघु
निदेशक- नाता संस्था
जयपुर , राजस्थान