भोपाल लॉक डाउन को बना दें जीवन का वरदान

लॉक डाउन को बना दें जीवन का वरदान वर्तमान समय मानव सभ्यता एक बेहद कठिन दौर से गुज़र रही है। ऐसा कठिन दौर जिसके भविष्य के बारे में अभी तक कुछ पता नहीं। इस महामारी का भयावह रूप दिन-प्रतिदिन उग्र होता जा रहा है। आधी दुनिया अपने-अपने घरों में कैद है। लेकिन इसका अंत कब होगा इस बारे में अभी भी अनिश्चितता है।  पीछले एक महीने से लोगों के जीवन यापन का तरीका बदल गया है। लोगों का खानपान, लोगों के शौक एवं लोगों की सोच बदली हुई है। प्रकृति भी अपने उन्मुक्त,स्वच्छंद रूप में नजर आ रही है। खैर देर सबेर इस त्रासदी से मानव सभ्यता जरूर उबर जाएगी, परन्तु एक प्रश्न यह है कि क्या यह परिस्थिति अचानक आई, क्या प्रकृति ने हमें कभी आगाह नहीं किया । इसका उत्तर है,लगातार महापुरूषों, प्रकृति एवं सरकार से किसी न किसी रूप में संकेत मिलनें के बावजूद मनुष्य अपने ज्ञान एवं शक्ति को सर्वोच्च मान बैठा। उसे यह झूठा अभिमान हो गया कि उसकी मर्जी के बगैर इस संसार में कुछ नहीं हो सकता। वह प्रकृति को अपनी दासी मान बैठा। परन्तु आज वही मनुष्य परिस्थिति के आगे बेबस है। क्या नेता,क्या राजनेता, क्या अभिनेता, क्या प्रशासक, क्या आम जनता सभी इस परिस्थिति के आगे नतमस्तक हैं। कोरोना तो जहां से आया है चला ही जाएगा, परन्तु एक प्रश्न यह भी है कि क्या ऐसी त्रासदी दुबारा नहीं आएगी। इन लॉक डाउन के दिनों में सभी को खूब सादर प्रकाशनार्थ सोचने समझनें एवं पश्चाताप के अवसर प्राप्त हुए हैं। अपनी कमियों को दूर करनें के अवसर मिलें हैं,तो साथ ही अपने अंदर के गुण एवं प्रतिभा को निखारने का अवसर भी मिला है। पारिवारिक संबंधों को मधुर बनाने एवं एक दूसरे से भावनात्मक संबंध बनाने के भी भरपूर अवसर मिले हैं। लेकिन इन अवसरों का जिसनें भरपूर लाभ उठाया है, वही सच्चा मनुष्य है। इस परिस्थिति में कुछ विशेष शिक्षाएं जो हमें भविष्य में धारण करके चलनी होंगी।राम की तरह मर्यादा में रहनें का गुण सीखेंलॉक डाउन के इस समय में सरकार द्वारा दूरदर्शन पर33 वर्षों बाद प्रसिद्ध धारावाहिक "रामायण" का पुनः प्रसारण किया गया। 33 वर्षों बाद भी "रामायण" की अपार सफलता नें यह तो सिद्ध कर दिया कि भारत वर्ष की जनता आध्यात्मिकता एवं मर्यादापूर्ण बातों को पसंद करती है। परन्तु किंचित कारणों से वह अपनी वास्तविकता को भूली रहती है। अब आवश्यकता है कि वह अपनें मूल स्वरूप की स्मृति में रहे। किसी भी नकारात्मकता एवं व्यर्थ को अपनें उपर हावी न होने दें । जैसे ”श्री राम" हर परिस्थिति में मर्यादित रहे, वैसे ही हर मानव को अब संयमित एवं मर्यादित जीवन जीने की आवश्यकता होगी।अचानक के लिए तैयार रहेंकोरोना महामारी ने यह तो मानव को सिखा ही दिया है कि कोई भी परिस्थिति या आपदा अचानक आ सकती है। हमने देखा कि इस परिस्थिति में अनेकों लोग महीनों से किसी दूसरे स्थान पर फंसे हुए हैं। अचानक जीवन के अनेक कार्य रूक गए। अतः इस लॉकडाउन के समय का सदुपयोग कर हम अपने को इतना मजबूत बना लें कि भविष्य में अचानक आने वाली किसी भी  परिस्थिति के लिए तैयार रहें।खान-पान को संयमित रखना सीखें   जैसा कि हम देख एवं सुन रहे हैं कि कोरोना महामारी का मुख्य कारण ही चीन के लोगों का दूषित खानपान है। आज कोई भी चीन के दूषित खानपान को उचित नहीं ठहरा रहा है। अतः हमें मांसाहार आदि से दूर होना ही होगा। क्योंकि मांसाहार मानव के शरीर की प्रकृति के अनुकूल नहीं है। प्रकृति ने हमे उदरपोषण हेतु अनेकों शाकाहारी पौष्टिक चीजें दी हैं। सात्विक भोजन करनें से हम इस तरह की अवांछित बीमारियों से बच सकते हैं।अपनें अंदर की कलाओं को विकसित करें।हम देख रहे हैं कि इस लॉकडाउन के समय जब बाहर सबकुछ बंद है, ऐसे समय में कुछ लोग अपनी कलाओं का सकारात्मक उपयोग करके लोगों की जीवन-रक्षा का कार्य कर रहे हैं। जैसे घर में रहकर मास्क बना रहे है,सैनिटाइजर बना रहे हैं। कुछ लोग गरीबों को भोजन करा रहे हैं, कुछ कोरोना योद्धाओं का किसी न किसी रूप में सहयोग एवं उत्साहवर्धन कर रहे हैं। अतः समय को व्यर्थ न गंवा कर अपनें अंदर कला को विकसित करेंगे तो वह अवश्य ही हमारे एवं औरों के काम आएगी।जो कार्य कभी न कर पाए वह करनें का समय है-जीवन में हमारे सामने हमेशा समस्या रही है कि हमें समय नहीं मिलता। हम सोचते तो बहुत हैं पर उतना कर नहीं पाते। चाहे वह कार्यालय में हो, व्यापार में हो,परिवार में हो, संबंधों में हो हमेशा ऐसा लगता था जैसे हम उतना नहीं कर पा रहे हैं, जितना सोचा है। परन्तु यह लॉकडाउन का समय ऐसी सभी बातों को पूरा करने का है, जो बहुत काल से नहीं हो पा रहा था। अतः इस अवसर को हाथ से न जाने दें।कोई एक कड़ी कमजोरी को छोड़ दें-अक्सर जीवन भर हमें एक कड़ी कमजोरी हमारे मार्ग में बाधा बन जाती थी। हम अपने आप को इस कमजोरी के अधीन समझने लगे थे। कई बार हम कह देते कि यह मुझसे नहीं हो पाएगा क्योंकि यह मेरा संस्कार है। मेरी आदत ही ऐसी है। चाहे वह आलस्य का स्वरूप हो या क्रोध का स्वरूप हो या ईष्या या निंदा का स्वरूप हो। यह संस्कार हमारे ऊपर हावी थे, हम चाहकर भी इनसे मुक्त नहीं हो पा रहे थे। परन्तु लॉकडाउन के इस समय हम अभ्यास एवं श्रेष्ठ चिंतन के माध्यम से इन संस्कारों से मुक्ति पा सकते हैं एवं अपना एक नया स्वरूप बना सकते हैं।गुस्सा, निंदा, चिड़चिडापन से दूर रहें- हम संकल्प एवं दृढ़ निश्चय करें कि कम से कम लॉकडाउन की अवधि में हम गुस्सा, निंदा एवं चिड़चिड़ापन से दूर रहेंगे।  अपने अंदर की शक्तियों को पहचानें।  व्यर्थ की आदतों को हमेशा के लिए छोड़ दें। यह समय मुझे मेरे परिवर्तन के लिए वरदान रूप में मिला है। परमात्मा को अपना साथी बनाएं- जब भी हम लोगों को बोलते थे कि कुछ समय भगवान को याद करो तो लोगों की एक ही समस्या रहती थी कि कार्य से हमे फुरसत ही नही मिलती। हम बहुत बिजी रहते हैं। जब बूढ़े हो जाएंगे तो भगवान को याद करेंगे। परंतु यह लॉकडाउन का जो स्वर्णिम समय मिल रहा है उसके सुबह शाम कुछ पल भगवान को याद करें ताकि हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो एवं हमारे जीवन से रोग, शोक, दुख, अशांति दूर हो सके।प्रकृति अपने बेहद सुंदर स्वरूप में-इस समय हम टी वी एवं अन्य माध्यमों से देख रहे है कि नदियों का पानी निर्मल स्वच्छ हो गया है, पेड़ पौधों में सुंदर हरियाली आ गई है, पंछियों की चहचहाट सुनाई देने लगी है, तितलियां उड़ती हुई दिखाई दे रही है, जंगल के जानवर रोड पर दिखाई दे रहे हैं। दिल को सुकून देने वाली नैसर्गिक सुंदरता की छत प्रकृति ने इस समय प्रकृति ने बिखेर रखी है। हमारे सामने लॉकडाउन के बाद इस सुंदरता को बरकरार रखने की चुनौती होगी।स्वास्थ्य पर ध्यान दें-कहते हैं यदि ' तन ' अच्छा रहे, तो जीवन में सब कुछ अच्छा होता चला जाता है।यह बात हम अच्छे तरीके से जानते भी हैं। क्योंकि जब स्वास्थ्य अच्छा होगा, तभी हम जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर पाएंगे।हो ना हो हम ज़रूर सोचा करते थे कि कल से प्राणायाम,कसरत, योगा करेंगे और कल आते ही किसी और कार्य में व्यस्त हो जाते थे। बस सोचते ही रह जाते थे। परन्तु आज समय मिला है इसे हम अपने स्वास्थ्य के प्रति उपयोग में लाएं। एक्सरसाइज, कसरत , प्राणायाम करना स्टार्ट करें और शरीर को स्वस्थ्य बनाएं।  एक महीने बीत भी गए हैं, क्या हमें आज भी ऐसे ही समय बिता देना चाहिए। नहीं  अब तो करना ही है। क्योंकि "अब नहीं तो कभी नहीं"।इस तरह यह अच्छी रीति समझने की बात है कि लॉकडाउन चाहे कोरोना के कारण आया हो लेकिन इसके बहाने हमे घर के अंदर रहकर अपनी जिंदगी को फिर से सवारने का सुनहरा अवसर मिला है। यदि हमने इस अवसर के लाभ को दोनों हांथों से बटोरा तो निश्चित ही हमारा जीवन एक नई मंजिल  की ओर जाता दिखाई देगा, जहां सफलता हमारे कदम चूमेगी और बुरी एवं आसुरी सक्तियाँ हमसे कोसों दूर हो जाएंगी। तो अपने आप को इस कार्य हेतु समर्पित करके एक नई स्वर्णिम दुनिया का आव्हान करें।