भोपाल कोरोना के बाद  चुनौतियों व अवसर पर आईआईआईडी ने आयोजित किया वेबिनार इंटीरियर डिज़ाइनर्स  व आर्किटेक्ट्स ने की चर्चा साझा किये सुझा

भोपाल : वैश्विक महामारी कोरोना के बाद आने वाले परिवर्तन में नयी चुनातियाँ और अवसर सृजित होंगे।  इस आने वाले बदलाव को ध्यान में रखते हुए इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडियन इंटीरियर डिज़ाइनर्स (आईआईआईडी) के भोपाल चैप्टर ने मंगलवार को एक वेबिनार का आयोजन किया।  इस वेबिनार में '' कोविड 19 महामारी- आर्किटेक्चर व इंटीरियर डिज़ाइन के क्षेत्र में चुनौतियां व समाधान' विषय पर चर्चा प्रसिद्द आर्किटेक्ट, इंटीरियर डिज़ाइनर्स, उद्धयमी एवं शिक्षाविधो ने भाग लिया।  अंतरराष्ट्रीय स्तर क्वालिटी और उचित दाम जरूरी :ज़ूम पर आयोजित इस वेबिनार की रूपरेखा तय करते हुए आईआईआईडी भोपाल चैप्टर के चेयरमैन मनोज चौबे ने अपील करते हुए कहा कि वर्तमान परिदृश्य और आगामी चुनौतियों को देखते हुए हमें इंटीरियर और वास्तुशिल्पीय उत्पादन अंतर्राष्ट्रीय स्तर की क्वालिटी का करना होगा।  इससे उत्पन्न होने वाली मांग के अनुसार हमें उचित व आकर्षक कीमतों का  भी ध्यान रखना होगा।  मनोज ने वेबिनार को सम्बोधित करते हुए भविष्य में तकनीक व् प्रबंधन के श्रेष्ठ उपयोग के साथ उत्पादन के दौरान सोशल डिस्टैन्सिंग का ध्यान रखने पर भी जोर दिया।  बिना आवागमन के हो सकेगा काम:आईआईआईडी के सचिव ऋषि साहू ने कहा कि वर्तमान हालात ने बिना आवागमन के भी काम करना सिखा दिया है।  हम अब कम से कम हफ्ते में बेहतर तरीके से तीन दिन घर से ही प्रभावी रूप से काम कर सकते हैं।  आईआईआईडी के कोषाध्यक्ष अंकुश नारायण पथे ने अपने सम्बोधन में कहा कि,' मेरा विश्वास है कि कोविड19 ने सबको इस बात के लिए  जागरूक किया है कि हमारे कार्यस्थलों को और परिवर्तन के साथ बहुउपयोगिता  की दिशा में जाना होगा।  आईआईआईडी की चेयरमैन इलेक्ट व इंटीरियर डिज़ाइनर रवीशा मर्चेंट ने वेबिनार को सम्बोधित करते हुए बताया कि यह समय हमारे पुनःचिन्तन, पुनःनियोजन और पुनःसंयोजन का है।  इस दौर में हमें न केवल अपने कार्य को बल्कि  जीवनशैली को भी बदलना होगा। डिजाइनिंग का भविष्य तकनीक का ज्यादा सहारा लेते हुए मूलसिद्धांतों  में बदलाव लाते हुए संधारणीय जीवनशैली और सामाजिक दायित्वों की तरफ ले जाएगी। हमारे घरों में डिजिटल होने के साथ दफ्तर की जगह भी इस महामारी के बाद की आवश्यकता बन जाएगी। मैनिट के वास्तुकला विभाग के प्रोफेसर प्रो विनय मोहन दास ने बताया की इस महामारी की चुनौतिओं के बाद में स्टूडेंट के लिए पाठ्यक्रम में काफी बदलाव लाने होंगे।स्थानीय विक्रेताओं व श्रमिकों का प्रोत्साहन जरूरी:खर्चों में कमी पर बोलते हुए आर्किटेक्ट कमलरूप सिंह ने कहा कि साज-सज्जा पर होने वाले खर्चों में कमी आएगी। इसके साथ ही आपदा प्रबंधन के अनुसार बिल्डिंग की डिज़ाइन व् प्लान किया जायेगा एवं इंटीरियर में लगने वाले समय को नयी तकनीक का उपयोग करके कम करने की आवश्यकता होगी। आर्किटेक्ट अक्षय सेलूकर ने कोरोना आपातकाल के बाद  नवीन अवसर पर बोलते हुये कहा कि यह वक़्त वास्तुशिल्प को नयी तरह से विकसित करने का है।  हमें डर से बाहर आते हुए इस विकास के लिए सीखना भी होगा।उद्धयमी मनोज अडगांवकर ने कहा कि हमें स्थानीय विक्रेताओं को प्रोत्साहित करने के साथ श्रमिकों को बाजार के अनुसार प्रोत्साहित करना होगा।  इससे समय सीमा में काम आसान तो होगा ही साथ में रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। इंटीरियर डिज़ाइनर्स को स्थानीय उत्पादकों को मार्गदर्शन देने के साथ डिज़ाइन भी साझा करना होगी।  घराना फर्निशिंग के रूपम सेवानी और टाइल्स व सेनिट्री प्रोडक्ट्स के उत्पादक व् वितरक अशोक गुप्ता ने उत्पादन व मार्केटिंग के महत्व पर इस वेबिनार में चर्चा की। वाइस चेयरमेन (ट्रेड) चेतन पटेल ने कहा की भोपाल को जब भी ट्रेड का साथ चाहिए होगा तब आईआईआईडी हमेशा उनके साथ खड़ा रहेगा। हम सबको मिलकर इस कोरोना की चैन को तोड़ना हे और आगे बढ़ना हे।उद्योगपति राकेश सुक्रमानी ने बताया की हमारे पास पहले से ही अंतर्राष्ट्रीय ब्रांडों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए मशीनरी और बुनियादी ढांचा है। हालांकि, हमें प्रोडक्ट डिजाइनिंग क्षमताओं में सुधार करना चाहिए और अपनी मैन पावर के स्किल्स में सुधार की जरुरत है। देश में निर्मित इंटीरियर उत्पादों को प्रचारित एवं प्रसारित करने के लिए शासन के स्तर पर भी उचित प्लेटफार्म उपलब्ध करना जाना चाहिए।


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