भोपाल, 15 फरवरी 2020 नदियों को बचाने के लिए पत्थर से बनने वाली रेत ही आने वाले समय में सबसे बड़ा विकल्प रहेगी। इस रेत को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार भी प्रयास कर रही है। फ्लाईऐश को लेकर आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला के समापन पर शनिवार को खनिज साधन मंत्री प्रदीप जायसवाल ने यह बात कही। मंत्री ने कहा कि प्रदेश की नदियों से निकलने वाली रेत पर प्रदेश सरकार एक सौ पच्चीस रुपए प्रति घनमीटर रायल्टी ले रही है, लेकिन पत्थरों से बनने वाली रेत पर सिर्फ पच्चीस रुपए प्रति घनमीटर रायल्टी ली जा रही है। पत्थरों से बनी रेत के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए इस पर रायल्टी कम की गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा खदानों को नीलामी की जाती है, तो रेत खदानों से अवैध उत्खनन होता है, इससे प्राकृतिक संपदा नष्ठ हो रही है, साथ ही सरकार को राजस्व की हानि हो रही है। मंत्री ने फ्लाईऐश से बने उत्पादों को बढ़ावा देने की बात कही। उन्होंने इसके लिए नई नीति बनाने पर भी जोर दिया। कार्यक्रम के समन्वयक सुधीर पालीवाल ने कहा कि हमारा प्रयास पर्यावरण को बचाने का है। इसी के चलते मध्यप्रदेश की राजधानी में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम के बाद जो भी निष्कर्ष निकलकर सामने आए हैं, हम उनका सार तैयार कर सरकार को सौंपेंगे, जिससे सरकार इस दिशा में बेहतर काम कर सके। यह सेमिनार फेडरेशन आफ मध्य प्रदेश, चैम्बर ऑफ कॉमर्स, ग्रीन एश फाउंडेशन, सीएसआईआर-एमप्री और मप्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल के सयुंक्त तत्वावधान में सीएसआईआर-एम्प्री के सभागार में हुआ। कार्यशाला में ग्रीन एस्कॉन के सुधीर पॉलीवाल, भारती चक्रवर्ती, अनिल गोठी,एफएमपीसीसीआई के वॉयस प्रेसिडेंट दिवेंदर पॉल सिंह चावला, एमपी पीसीबी के सदस्य सचिव आरएस कोरी, एमप्री के डायरेक्टर अविनाश शर्मा, सर्च एंड रिसर्च से डॉ.राजीव जैन, डॉ. मोनिका जैन सहित अन्य वैज्ञानिक मौजूद थे।
भोपाल नदियों को बचाने पत्थर से बनी रेत को बढ़ावा दे रही है सरकार फ्लाई ऐश को लेकर आयोजित कार्यशाला में बोले खनिज साधन मंत्री