फरीदाबाद से हृदयेश सिंह की रिपोर्ट )आज दिनांक 8 जनवरी 2020 को राष्ट्रीय महिला जागृति मंच व देव मानव सेवा ट्रस्ट की अन्य राज्यों में स्थापित इकाइयों के प्रदेश अध्यक्षों ने राष्ट्रीय चेयरपर्सन अम्बिका शर्मा को दी बधाई।अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट ने भी बधाई और शुभकामनाएं दींहरियाणा फरीदाबाद अम्बिका शर्मा राष्ट्रीय महिला जागृति मंच की राष्ट्रीय चेयरपर्सन हैं। हरियाणा के फरीदाबाद जिले में रहने वाली अम्बिका शर्मा का जन्म 26 जनवरी 1976 को हरियाणा प्रदेश के गुरुग्राम जिले में हुआ। इनकी उम्र 43 साल है अम्बिका शर्मा ने एम बी ए ( एच .आर. एम ) की डिग्री हासिल की हुई है। 43 साल के अपने जीवन काल मे अम्बिका शर्मा ने बहुत संघर्षमय जीवन जिया है ।सबसे पहले पढ़ाई पूरी करने के बाद प्राइवेट कंपनी में एच आर एग्जीक्यूटिव की जॉब की उसके बाद स्कूल/ कॉलेज में एडमिनिस्ट्रेशन विभाग में जॉब की। लेकिन अम्बिका शर्मा को जीवन मे एक नया मुकाम हासिल करना था जो इनसे पूरा नही हो सकता था। आखिर में अम्बिका शर्मा ने अपना मन मनपसन्द क्षेत्र निःस्वार्थ समाज सेवा चुना।
अम्बिका शर्मा ने छोटी छोटी सेवाएं देते हुए कार्य प्रारंभ किया। इस दौरान उन्हें बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ा।अम्बिका शर्मा द्वारा चुने इस क्षेत्र में उन्हें किसी का भी साथ नही मिला। उन्हें हमेशा से ही विरोध का सामना करना पड़ा। सबसे पहले उनका विरोध घर से ही शुरू हुआ। बिना तनख्वाह के इस कार्य को करने से घर के सभी सदस्य राजी नही थे। पैसा मिलना तो दूर बल्कि घर से ही खर्च करके गरीब व जरूरतमंदों की सेवा करना अपने आप मे ही एक चुनोती पूर्ण कार्य था। बहुत ज्यादा विरोध के बाद भी अम्बिका शर्मा द्वारा ये कार्य सफलतापूर्वक चलता रहा। घर ही नही समाज मे भी अम्बिका शर्मा को बहुत सी समाजिक ओर निजी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उनके साथ जुड़ी कुछ ईर्ष्यालु महिलाओं व गन्दी प्रवृति के कुछ पुरुषों द्वारा भी अम्बिका शर्मा को काफी अपमान को झेलना पड़ा। लेकिन इन सभी रुकावटो ओर समस्याओं का सामना करते करते अम्बिका शर्मा आज भी अटल सत्य ओर नेक पथ पर दृढ़ संकल्प के साथ कार्य करते हुए इस मुकाम पर खड़ी हैं। अम्बिका शर्मा की लगन निष्ठा व मेहनत को देखते हुए अब उनके साथ उनका परिवार भी साथ खड़ा है। उनके पति एडवोकेट महेंद्र वशिष्ठ अब अम्बिका शर्मा की हर सम्भव सहायता करते है और उनके साथ एक मजबूत स्तम्भ की तरह खड़े हैं।अम्बिका शर्मा राष्ट्रीय चेयरपर्सन को उनकी मेहनत ,लगन, निष्ठा, निःस्वार्थ भावना ओर उनकी कार्यशैली को देखते हुए "इंडिया ग्लोरी बुक ऑफ रिकार्ड्स " ने उनका नाम अपनी इस पुस्तक में दर्ज किया है। इस दुलर्भ ओर विशेष सम्मान के मिलने पर अम्बिका शर्मा बहुत खुश और गर्व महसूस करती है। वह इसकी राष्ट्रीय अध्यक्ष मंजू सिंह व सम्माननीय पूर्व जज साहब श्री उदय चंद बारूपाल जी का तहेदिल से धन्यवाद करती हैं। और भरोसा दिलाती है कि हमेशा इसी तरह समाज हित के कार्य करती रहेंगी।अम्बिका शर्मा द्वारा संचालित कई संगठन कार्य कर रहे हैं। देव मानव सेवा ट्रस्ट , राष्ट्रीय महिला जागृति मंच, देव यूथ ब्रिगेड, केसरिया भारत ( धर्म जागरण अभियान) ये सब ट्रस्ट ओर संगठन अम्बिका शर्मा ही संचालित करती हैं। चेयरपर्सन अम्बिका शर्मा जी ने देव मानव सेवा ट्रस्ट की स्थापना 4 साल पहले 29 दिसम्बर 2015 को ओर 2 साल पहले राष्ट्रीय महिला जागृति मंच की स्थापना 10 अप्रैल 2018 को की। 5 लोगो से शुरू हुए ये संगठन अब एक विशाल संगठन बन चुके हैं। देव मानव सेवा ट्रस्ट व राष्ट्रीय महिला जागृति मंच की लगभग 15 राज्यों में शाखाएं खुल चुकी हैं। संगठन की टीम मानवता, महिला एकता, महिला जागरूकता व महिला सशक्तिकरण के लिए निःस्वार्थ तन मन धन से कार्य करती है। इतने थोड़े समय मे ही संगठन द्वारा कई प्रशिक्षण केंद्र और पाठशालाएं खोली गई है। संगठन की तरफ से चलाई जा रही शाखाएं निम्नलिखित हैं :-
देव पाठशाला निःशुल्क, महक एकेडमी, स्टार कल्चरल एकेडमी, सिलाई सेंटर, ब्यूटी पार्लर कोर्स राष्ट्रीय महिला जागृति मंच के माध्यम से अम्बिका शर्मा द्वारा महिला उत्पीड़न, बाल शोषण, योन शोषण, हिंसा आदि के केस निपटाए जाते हैं। 4 साल में अम्बिका शर्मा द्वारा संचालित इन संगठनों की एक विशाल टीम एक ही मंच पर कार्य करने के लिए आ चुकी है।राष्ट्रीय महिला जागृति मंच का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को एक करके, जागरूक करके उनको आत्मनिर्भर बनाकर उनके सम्मान की रक्षा करना है।2018 से निरंतर समाज सेवा में समर्पित अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के सभी पदाधिकारियों ने भी अम्बिका शर्मा को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई दी और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि हम अपने ट्रस्ट के साथ अम्बिका शर्मा के ट्रस्ट को भी विदेशों तक कार्य शैली को फैलायेंगे हम एक और एक बराबर ग्यारह के हिसाब से कार्य कर जल्दी ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्य करेंगे