भोपाल, 8 जनवरी 2020 फेडरेशन, सीएसआईआर-एएमपीआरआई, और मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मंडल का सयुंक्त आयोजन मध्यप्रदेश में फ्लाई-ऐश (ताप विद्युत् संयंत्रों से निकलने वाली राख) का भवन निर्माण, सड़क निर्माण और अन्य बेहतर उपयोग कैसे हो सके इस विषय पर फेडरेशन ऑफ़ मध्यप्रदेश चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स एन्ड इंडस्ट्री (फेडरेशन) , सीएसआईआर-एएमपीआरआई, और मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मंडल भोपाल में 13 से 15 फरवरी, 2020 तक फ्लाई ऐश और ग्रीन बिल्डिंग मटीरियल्स "GREEN ASHCON 2020" और "GREEN BUILDCON 2020" पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करेगा। इस अंतर्राष्ट्रीय सेनीमार में ग्रीन बिल्डिंग उत्पादों, संयंत्र और पेवर ब्लॉक जैसे विनिर्माण उत्पादों के निर्माण पर मशीनरी, कंक्रीट, तैयार मिक्स कंक्रीट, बनाई हुई रेत, प्री कास्टवॉल पैनल, इंजीनियर लकड़ी, बांस की लकड़ी, बेकार प्लास्टिक निर्माण सामग्री आदि के इस्तेमाल के बारे में विस्तार से विशेषज्ञ चर्चा करेंगे। इस सेमिनार का उद्घाटन पर्यावरण मंत्री श्री सज्जन वर्मा करेंगे। इस अवसर पर एक संवाददाता सम्मलेन को सम्बोधित करते हुए इस आयोजन के संयोजक सुधीर पालीवाल में बताया कि, "मध्य प्रदेश में सालाना लगभग 90 लाख टन फ्लाय ऐश पैदा होती है लेकिन इसमें से महज 30-35 लाख टन का ही इस्तेमाल होता है. इससे वातावरण में काफी प्रदूषण होता है जिसे रोकना बहुत आवश्यक है. फ्लाय ऐश का इस्तेमाल भवन निर्माण, सड़क निर्माण और ईंटों के निर्माण में किया जा सकता है. इसको राज्य में बढ़ावा मिलना चाहिए. इसके अलावा नदियों से रेत निकालने पर रोक लग सके इस पर भी इस सेमीनार में विस्तृत चर्चा होगी।"मप्र और आसपास के राज्यों में निर्माण उद्योग की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए ग्रीन बिल्डिंग मटीरियल के रूप में फ्लाई ऐश की खपत बढ़ाने की काफी संभावनाएं हैं। यह युवा उद्यमियों और एसएमई, आर्किटेक्ट्स, बिल्डर्स एंड कॉन्ट्रैक्टर्स, सिविल इंजीनियर्स, स्टार्ट अप्स, पर्यावरणविद् और इच्छुक व्यक्तियों के लिए साइंटिस्ट, शोधकर्ताओं और सप्लायर्स के साथ बातचीत करने के लिए यह सेमिनार अच्छा अवसर प्रदान करेगा। ग्रीन बिल्डिंग मैटेरियल निर्माता, पावर प्रोड्यूसर्स, सीमेंट इंडस्ट्रीज, फ्लाई ऐश उपयोगकर्ताओं, शोधकर्ताओं और विद्वानों, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले लगभग 500 से 700 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों के भाग लेने की उम्मीद है।फ्लाई ऐश, कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन वेस्ट, इंडस्ट्रियल / माइनिंग वेस्ट, रेड मड, एग्रो वेस्ट, नेचुरल फाइबर्स, एफजीडी जिप्सम, जियोप्लामर सीमेंट, बांस, इंजीनियर लकड़ी, राइसुस्क ऐश, वेस्ट प्लास्टिक ईंटों से निर्मित ग्रीन बिल्डिंग मटेरियल, नदी के प्रतिस्थापन के रूप में निर्मित रेत। ग्रीन बिल्डिंग में रेत आदि का इस्तेमाल किया जा रहा है.इस अवसर पर बोलते हुए पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण मंडल के सदस्य सचिव आर एस कोरी ने कहा कि राज्य में फ्लाय ऐश के इस्तेमाल पर ज़ोर दिया जा रहा है और यह सम्मलेन इस दिशा में राज्य में फ्लाय-एश के इस्तेमाल को नई दिशा देगा।"फेडेरशन के अध्यक्ष डॉ आर एस गोस्वामी ने बताया कि फेडरेशन केवल उद्योग की समस्याओं ही नहीं बल्कि इस बात पर भी निरतंर प्रयासरत है कि राज्य में नए क्षेत्रों में उद्योग कैसे आ सकें। इस सम्मेलन के माध्यम से फ्लाय-एश के इस्तेमाल से बनने वाली भवन और अन्य निर्माण सामग्री वाले उद्योग राज्य में आ सकेंगे।"
भोपाल में फ्लाय-एश के इस्तेमाल पर अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार फरवरी में होगा