भोपाल के राज्य संग्रहालय में 13,14,15 दिसम्बर द मेंठिनी शो होगा जिसमें महिलाओ द्वारा निर्देशित फिल्मों का जशन डाक्यूमेंट्री शार्ट फ़िल्म, एनिमेशन एक्सपेरिमेंट सिनेमा को दिखाया जायगा

इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ़ वीमेन इन रेडियो एंड टेलीविज़न के साथ मिलकर मध्य प्रदेश महिला मंच इस हफ्ते भोपल में कुछ विशेष फ़िल्में ला रही है। दिसम्बर 13 से 15 के बीच आयोजित इस तीन-दिवसीय फिल्म त्यौहार में लघु फिक्शिन, ऐनिमेशिन, डाक्यूमेंट्री और एक्सपेरिमेंटल सिनेमा, सभी महिला फिल्ममेकर द्वारा बनायी गयी हैं। इस तरह के स्वतंत्र सिनेमा का अनुभव हम सब फिल्म पसंद करनेवालों के साथ साथ उन सब को लेना चाहिये जो देश के विभिन्न इलाकों में (और दुनिया के भी किन्ही हिस्सों में) जाना चाहते हैं और इन विभिन्न जगहों के लोगों को समझना चाहते हैं। जहाँ शुरुआती फिल्म, बाबूलाल भुइंया की कुरबानी हमे मैलगोरा कोयला की खदानों में ले जाती है, फिल्म उत्सव की आखरी फिल्म, तुरुप, भोपाल से किरदार और लोगो के जीवन पर आधारित है। जब हम 'डब्लू स्टैंड्स फॉर' के द्वारा युवा महिलाओं को वजन कम करने की कोशिश में समझते हैं, या मोनू की मा द्वारा आर्डर किया हुआ केक 'द केक स्टोरी' में पूरे शहर ढूंढने जाते हैं, हमे समझ आता है कि नाम बदल जाते हैं, जगह बदल सकती हैं, लेकिन महिला नज़रिया हमे जीवन और मुद्दो को और गेहरे तरह से देखने का मौका देता है। इन ज़िंदगियों को हम जीते भी है, या असर में भी आते हैं, लेकिन साथ साथ हमे अपने से अलग कुछ लोगों की ज़िंदगी की झलक भी मिल पाती है।  


  राज्य संग्रहालय, शामला हिल्स, भोपाल में यह 28 फिल्मे सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक स्क्रीन की जायेंगी। कुछ सत्रो के बाद सभा खुल्ली चर्चा के लिये रखी जायेगी और विशेज्ञ भी उपलब्ध होंगे अपनी राय रखने के लिये। यौनिक हिंसा से उभरना, ट्रांसजेंडर  हक़ और देश में कानून, कॉनफ्लिक्ट क्षेत्रों में महिला पत्रकारों की स्थितियां मुद्दों पर खुली चर्चा आयोजित है| कुछ फिल्म मेकर, जिनमें शामिल है iawrt की सचिव और देश में वरिष्ठ एडिटर रीना मोहन फिल्म बनाने के अनुभव हमारे साथ साझा करेंगी|


यह ध्यान दिया जाए कि महिला मंच एक स्वतंत्र नॉन-फंडेड महिलाओं का समूह है, जो गए २० सालों से महिलाओं के मुद्दों में कार्यरत है| महिलाओं के मसलो में उनको कानूनी मदद करते हुए लोगों के मुद्दों परज़मीनी समझ बनाने में हम कार्यरत हैं| म.प्र.महिला मंच के सदस्यो में वो लोग शामिल हैं जो अपने आप को महिला पहचानते हैं और इसमें शामिल हैं कलाकार, लेखक, अध्यापक, विद्यार्थी और जीवन के सभी पृष्ठभूमि से आये मानव अधिकार कार्यकर्ता। इस आयोजन में एक महिलावादी नज़रिये को देखने के लिये हम सभी जेंडर के लोगों का स्वागत करते है। इस फिल्म उत्सव  में सभी के लिये फर्स्ट कम, फर्स्ट सर्व आधार पर फ्री एंट्री है|