मध्यप्रदेश दमोह तहसील हटा युवा की नई सोच से गांव की बदल गई तस्वीर, गांव में छाई खुशियां गांव का नाम बदलकर नया नाम धरम ग्राम होने पर गांव के लोगों में मिठाईयां बाँट कर खुशियां जाहिर की

दमोह संवाददाता सुनील शाह ठाकुर मध्यप्रदेश दमोह के हटा एक सच्चे युवा की नई अच्छी सोच दमोह जिले की तहसील हटा की ग्राम पंचायत चकरदा माफी के अंतर्गत आने वाले गांव झामर टोला (महेङिया की टपरिया) का नया नाम _धरम ग्राम_  कर  दिया गया* है इस अवसर पर ग्रामीणों ने बहुत खुशी जाहिर की। इस मौके पर पहले सभी ने गगांव की खेर माता की  पूजा अर्चना की फिर  सभी ने मिलकर एक दूसरे को मिठाई-लडू  खिलाकर शुभकामनाएं दी।।
आपको बता दें कि बहुत वर्षों से सरपंच और सचिव ने इस विषय पर किसी भी प्रकार का कोई साथ नहीं दिया। तो गांव के ही कुछ जाग्रित युवाओं ने नया मुकाम हासिल कर दिखाया। बात कुछ ऐसी है कि ग्राम पंचायत चकरदा माफी  में चार गांव आते हैं धूमा,झामर , चकरदा और सिमरी , महेङिया की टपरिया और बसोर की टपरिया  है । 
हर बार सरपंच धूमा और चकरदा  गांवों का बनता आ रहा  इसलिए यहां पर आज कोई विकास कार्य नहीं हुआ है  लेकिन इसी गांव के एक युवा धमेंद्र पटेल महेङिया  ने अपनी पोस्ट-ग्रेजेवेशन पढ़ाई  दिल्ली में पूरी करने के बाद अपने गांव की व्यवस्था देखकर विकास कार्य का जिम्मा उठाया ओर गांव की हालत को सुधारने की जिम्मेदारी ली । मेरा गांव मेरी पहचान की सोच लिए गांव के विकास के लिए लगे हुए हैंग्राम के बाहर अकेले ने और एक मजदूर अपने से लगाकर 8-10 दिन तक  साफ-सफाई की बहुत से खजूर के छोटे-बड़े पेङो  को काट कर साफ किया यहां पर लगभग 18 से अधिक परिवार रहते हैं और 40 से  भी ज्यादा वोटर आवादी है जब तक यहां सबके बुजुर्ग थे सब साथ थे पर कुछ समय बाद परिवार  आपस में झगड़ते है कोई भी व्यक्ति  गांव के किसी सदस्य से बहुत कम वास्ता रखता है जिसके चलते आस पास के गांव के लोग यहां के लोगों पर हंसते हैं और कहते है की कुछ लोगों को छोङकर सब महेङिया नहीं भेङिया है इसलिए यहां की व्यवस्था बदहाल है रात समय गांव में सुनसान होता क्योंकि किसी भी  गली में कोई  लाइट नहीं है जबकि सबके घरों में बस रोशनी होती है  *गांव के बाहर तख्ती लगा कर उस पर नया नाम धरम ग्राम लिखा गया*
गांव का पुराना नाम लक्ष्मीखेरो बताते हैं जिसके चलते कोई सहमत नहीं था *यहां पर 1 एकङ से लेकर 25-26 एकङ तक किसान रहते हैं  साईकिल  से  लेकर मोटरसाइकिल फिर तो  2 ट्रैक्टर ट्राली  भी है* लेकिन सब गांव वाले  एक-दूसरे से बहुत कम मतलब रखतें हैं इस हालात में धमेंद्र पटेल महेङिया ने अपने गांव को सुधारने की कोशिश में लगे हैं कुछ परिवारों का पूर्ण सहयोग मिला रहा है प्रताप महेङिया ( हल्लू), रमेश पटेल, जगदीश महेङिया, धूमा गांव से रवि पटेल , सुरेंद्र पटेल,कीरेन्द्र पटेल, चकरदा से दीनदयाल पटेल, रमेश पटेल आदि इस युवा पीढ़ी के सोच लिय धमेंद्र पटेल महेङिया का साथ दे रहे हैं। वहीँ युवा समाज सेवी पत्रकार कुँवर सुनील शाह ठाकुर दमोह ने भी इस अनोखे शुभावसर पर सभी ग्राम वासियों को बधाई दी और आंगें भी समाज सेवा के कार्य करने के लिए युवाओं का उत्साह वर्धन करते हुए अनेको प्रेणाएँ दी।