मध्यप्रदेश की समृद्ध गोंड कला परम्पराएँ पूरे वर्ष दुनिया को दिखेंगी

मध्यप्रदेश में सबसे बड़ी जनजाति गोंड है, जो बैतूल, होशंगाबाद, छिन्दवाड़ा, बालाघाट, शहडोल, मंडला, सागर, दमोह आदि जिलों में निवास करती है। प्राचीन समय में मध्यप्रदेश के विन्ध्य और सतपुड़ा पर्वत श्रंखला के जंगलों में नर्मदा नदी के उदृगम अमरकंटक से लेकर भड़ौच (गुजरात) तक नदी के मार्ग में गोंड जनजाति की कोई न कोई शाखा निवास करती रही है। ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार यहाँ कभी बड़ा भू-भाग गोंडवाना कहलाता था। गोंड समुदाय में नृत्य, संगीत, चित्र और शिल्प की भी पुरानी और समृद्ध परम्परा है जिसमें घरों की सज्जा की एक खास शैली प्रचलित है। इसके अलावा गोंड जीवन में आभूषण और अलंकरण की केन्द्रीय भूमिका है। गोंड कला वर्ष में इस जनजाति की इन्हीं अद्भुत, समृद्ध और बहुरंगी कला विशेषताओं को और अधिक समृद्ध, संरक्षित और रेखांकित करने के लिये बहुआयामी प्रयास किये जाएंगे।


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